Madhu varma

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लेखनी कविता -लाल हरी बत्तियाँ - बालस्वरूप राही

लाल हरी बत्तियाँ / बालस्वरूप राही


रोको गाड़ी ब्रेक लगाओ, बत्ती लाल हुई।
लाइन से आगे मत जाओ, बत्ती लाल हुई।
पापा, जल्दी नहीं मचाओ, बत्ती लाल हुई।
जुर्माने की रकम बचाओ, बत्ती लाल हुई।

गाड़ी से बिलकुल न उतरना, बत्ती हरी हुई।
ट्राफिक वाले से क्या दरना, बत्ती हरी हुई।
चौराहा झटपट तय करना, बत्ती हरी हुई।
ठुक जाएगी गाड़ी वरना, बत्ती हरी हुई।

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